सौरमण्डल तारे एवं तारामंडल(Solar system, Stars and Constellation)
ब्रह्मांड(Universe)-
ब्रह्मांड को समग्र उर्जा,ग्रह,तारे एवं आकाशगंगा इत्यादि के समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
ब्रह्मांड के अध्ययन को ब्रह्मण्डविज्ञान(Cosomology)
कहते हैं।
सौरमण्डल(Solarsystem)-
सूर्य,आठ तथा उनके उपग्रहो (चंद्रमा) तथा अन्य आकाशीय पिंड;जैसे- क्षुद्र ग्रह,उल्का पिंड और धूमकेतु का समूह है।
सूर्य(Son)
सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है। सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित एक तारा है जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं।
आकाशगंगा(Milkyway)-
"असंख्य तारों के समूह को आकाशगंगा कहते हैं"जो गुरुत्वाकर्षण द्वारा धूल एवं गैसीय प्रकाश से जुड़े होते हैं।
Milkyway |
हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला हैं जिसकी "बिगबैंग"के उपरान्त उत्पत्ति हुई है।क्षीरमार्ग,या मंदाकिनी को ही "आकाशगंगा या गैलेक्सी" कहते हैं। यह आकृति में "सर्पिल" आकार की गैलेक्सी है।
इसकर चपटे चक्र का व्यास लगभग 1,00,000 प्रकाश वर्ष हैं।
हमारी आकाशगंगा दोगुने आकार की है।
यह भी माना जाता हैं कि करीब 1खरब तारे मौजूद हैं।
तारों का निर्माण आकाशगंगा में गैस के बादल से होता हैं।तारों से निरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन होता हैं।
हमारा सौरमण्डल आकाशगंगा के इलाकों में बाहर स्थित हैं,सौरमण्डल आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है।
"प्रकाशवर्ष"एक प्रकाश वर्ष प्रकाश द्वारा
एक वर्ष में 3×10^8मी/सेकण्ड की चाल से तय की गई दूरी है।
हमारी आकाशगंगा दोगुने आकार की है।
यह भी माना जाता हैं कि करीब 1खरब तारे मौजूद हैं।
तारों का निर्माण आकाशगंगा में गैस के बादल से होता हैं।तारों से निरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन होता हैं।
हमारा सौरमण्डल आकाशगंगा के इलाकों में बाहर स्थित हैं,सौरमण्डल आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है।
"प्रकाशवर्ष"एक प्रकाश वर्ष प्रकाश द्वारा
एक वर्ष में 3×10^8मी/सेकण्ड की चाल से तय की गई दूरी है।
तारे(Stars)-
तारे अपना प्रकाश उत्सर्जित खोगलीय पिंड हैं, हमारा सूर्य एक प्रकार का तारा है। तारे स्वयं प्रकाशित(Self-luminous) गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर बड़ा खोगलीय पिंड हैं।
- तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते प्रतीत होते है।
- तारो की दूरियों को प्रकाश वर्ष में मापा जाता है।
धूमकेतु(Comets)-
"धूमकेतु सौरमण्डल निकाय है, जो पत्थऱ,धूल, बर्फ, गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते है।यह ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
सौरमण्डल के छोर पर छोटे-छोटे पिंड मौजूद हैं,जो "धूमकेतु या पुच्छल तारा" कहलाते है।
धूमकेतू |
यह मीथेन, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड से बने होते है। इसमे विभिन्न प्रकार के यौगिक भी होते है। इन्हें कोमा(Coma) भी कहते है, क्योंकि इनकी आकृति को 2 मुख्य भाग में बाँट सकते है सिर तथा पूँछ के रूप में। धूमकेतू के सिर का केंद्र(Centre) बहुत चमकीला होता है।
यह इसका नाभिक(Nuclious) कहलाता हैै।धूमकेतू भी सूरज के चारों और चक्कर लगती है जैसे धरती सूर्य का लगाती है।
"2009 में एमिनो अम्ल गलईसिन पाया गया था,इस बात की पुष्टि हुई है"।
सबसे प्रसिद्ध धूमकेतू हैली का धूमकेतू है। इसका परिक्रमण काल76 वर्ष है अंतिम बार 1986 मे दिखाया दिया था अगली बार 1986 में 76 जोड़ दे तो 2062 में दिखाई देने की संभावना है।
तारामंडल(Constellation)-
यह खोगलशस्त्रियों द्वारा आकाश में तारों की निश्चित स्थिति के अध्ययन के लिए इसे इकाइयों में विभक्त किया गया है।
इन इकाइयों को तारामंडल कहते है।ज्ञात तारामंडलों की संख्या 88 हैं।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन(International space station)-
अंतरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन को संक्षेप में (ISS)भी कहते हैं। यह एक प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने वाले "17 देश 1st मॉड्यूल 1998"
ISS |
इसका उदघाटन 1998 में हुआ तथा 2011 में बनकर तैयार हुआ।ISS का मुख्य उद्देश्य है कि अनुसंधान की माइक्रो ग्रैविटी में जगह प्रदान करना।
अन्य अंतरिक्ष यानो के मुकाबले इसमे फायदे अधिक है इसमे रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष मे रहने का मौका मिलता है।
पोस्ट अच्छी लगे तो हमे comment करके जरूर बताये।
Good
ReplyDeleteGiving good knowledge, I loved reading this
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