Friday, May 22, 2020

जीव विज्ञान (Biology)

इस पोस्ट हम अध्ययन(Study) करेंगे-
जीव विज्ञान क्या है?
जीवधारियों का वर्गीकरण,जीवों के नामकरण द्विनाम पद्धति।
जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम।
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जीव विज्ञान(Biology)-

जीवविज्ञान(Biology)की वह शाखा जिसके अंतर्गत हम पेड़, पौधे व समस्त जीवधारियों व उनके क्रियाकलाप, रहन-सहन, खान-पान व उनके सम्पूर्ण जानकारी का अध्ययन(Study)करते हैं इसके बारे में अरस्तु(Aristotle)  ने बहुत अध्ययन किया इसका सारा श्रेय इनको जाता है।
इन्होंने ने जीव विज्ञान के बारे में काफी कुछ अध्ययन किया ।
इसकी दो शाखाएं हैं- वनस्पति विज्ञान(Botony), जन्तुविज्ञान(Zoology).

वनस्पति विज्ञान(Botony)-पादप रोगों के अध्ययन को वनस्पति विज्ञान(Botony) कहते हैं।
जन्तुविज्ञान(Zoology)- जंतु के अध्ययन को जन्तुविज्ञान या प्राणिविज्ञान(Zoology) कहते हैं।
'थियोफ्रेस्ट्स'(Theophrastus)  वनस्पति शास्त्री(Botanist) ने 500 पौधों की किस्मों का वर्णन किया।उस पुस्तक का नाम है-Historia,Plantarum है।


जीवधारियों का वर्गीकरण(Classification of fauna)-

वैज्ञानिक आधार पर इसको वर्गीकृत जॉन रे(John-Ray) ने किया जीवधारियों के आधुनिक वर्गीकरण में सबसे बड़ा योगदान'करोलेस लीनियस'(1708-1778 ई.)का है। ये स्वीडिश है। लीनियस की पुस्तक सिस्टमा नेचुरी(Systema ,Naturae), जेनेरा प्लान्टेनम(Genera plantrarum),क्लासेस प्लान्टेनम(Classes plantrarum) एवं फिलोसोफिया बोटेनिका(philosophia botanica) इन सभी पुस्तको में जीवधारियों के ऊपर विस्तृत प्रकाश डाला है। सिस्टमा नेचुरी-इसमे पूरे जीवधारियों को दो जगत में विभाजित किया है-पादप जगत(Plant Kingdom),जंतुजगत(Animal kingdom).इससे जो वर्गीकरण प्रणाली शुरू हुई उसेे आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली कहीं गई इसीलिए कैरोलस लीनियस वर्गीकरण का पिता कहा जाता है। 

1.मोनेरा(Monera)-
इस जगत में प्रोकैरियोटिक जीव व जीवाणु आर्की बैक्टीरिया तथा साइनोबैक्टीरिया शामिल है।
2. प्रोटीस्टा(Protista)-
इस जगत में एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव शामिल है। पादप एवं जंतु के बीच स्थित यूग्लीना इसी जगत में स्थित है।
3.पादप(Plantae)-
इस जगत में प्रायः रंगीन व बहुकोशिकीय प्रकाश,संश्लेसी जीव शामिल है। 
4.एनिमेलिया(Animalia)-इसमे सभी बहुकोशिकीय जीव शामिल है।सम्भोजी(Halozic) यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव शामिल किए गए है।
5.कवक(Fungai)-
इसमे परजीवी तथा मृत पदार्थ पर भोजन के लिये निर्भर जीव सम्मलित है।इनकी कोशिका भित्ति 'काइटिन(Chitin) की बनी होती है।

जीवो के नामांकरण  द्विनाम पद्धति(Nomenclature binomial method of living)-

लीनियस 1753 में जीवों के  नामकरण पद्धति को प्रचलित किया।
इनके अनुसार- जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बनता है।पहला  वंश (Genetic), जाति(Species) कहलाता है।
कारोल्स लीनियस
Carolus Linnaes
जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम-
•बिल्ली(Felis Domestica)
•मानव(Homo Sapiens)
•धान(Oryza Sativa)
•सरसों(Brassica Campestris)
•मटर(Pisum Sativa)
•मक्खी(Musa Domestica)
•गाय(Bos Inicus)
         

https://youtu.be/aRsm90tUvPw

Saturday, May 16, 2020

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम(The missile of a India)

 डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम(राष्ट्रगौरव कलाम)..

(Dr.APJ Abdul Kalam was the 11th President of India (from 2002 to 2007).

डॉ.  ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का पूरा नाम-"अबुल पकिर जैनुल आब्दीन अब्दुल कलाम" है।
 इनका पूरा जीवन प्रेरणा का स्रोत है। इनके जीवन मे संघर्ष और कठनाई बहुत आई पर इन्होंने कभी हार नही मानी।
ऐसे थे हमारे देश के "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" ।
इनका जन्म "15 अक्टूबर 1931 तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम कस्बे के समीप धनुषकोटि गाँव मे हुआ था। इनके पिता का नाम-जैनुल आब्दीन और माँ का नाम आशियम्मा था।
ये अपने माता पिता से अनुशासन और उदारता एवं ईश्वर में श्रद्धाभाव रखना सीखा। ये गरीब परिवार से सम्बंधित थे, पर इन्होंने कभी भी हर नही मानी। ये बहुत ही समझदार और बुद्धिमान व्यक्ति थे। इनके पिता एक नाविक थे इनकी माता एक ग्रहणी थी। वे गरीबी की मार से स्कूल के बाद पेपर बाँटने का काम करते थे। इनके अंदर नई चीजें सीखने की ललक बहुत ज़्यादा थी।
ये पढ़ाई पर घंटो तक ध्यान देते थे।
Dr.APJ Abdul kalam
DR.APJ ABDUL KALAM

कलाम द्वारा लिखित पुस्तक(Book written by Kalam)-

               इनकी पुस्तक"इंडिया 2020: ए विजन फ़ॉर द न्यू मिलियन" थी। इन्होंने इसमे देश को आगे ले जानी की बात कही और उन्हें पता था कि शिक्षा से ये देश को आगे ले जानी वाली बात संभव है। इन्होंने देश की प्रगति को आगे ले जानी की बात कही।
इनकी आरम्भिक शिक्षा रामेश्वरम के प्राइमरी स्कूल में हुई।1950 में विज्ञान में स्नातक करने के बाद वर्ष 1957 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
वर्ष 1958 में अपने वैज्ञानिक करियर के आरम्भ में  कलाम ने भारतीय फ़ौज के लिये एक छोटा हेलिकॉप्टर डिज़ाइन किया।

कलाम से सम्बंधित कुछ तथ्य(Some facts related to Kalam)-

                  इनकी एक आत्म कथा हैं "माय जर्नी(My Jeourney)" अब्दुल कलाम जी ने लिखा है- जीवन के वे दिन काफी कसमसाहट भरे थे, एक तरफ विदेशों में शानदार करियर बनाने का मौका और दूसरी तरफ अपने देश को आगे ले जाने की चाहत बचपन से सोचे हुए सपने के बीच फैसला करना था चुनाव करना कठिन था।
अंततः मैंने बिना कुछ सोचे अपने देश के भविष्य के बारे में सोचा,और विदेश नही गया।1958 में  DRDO से जुड़ गया।
1962में  कलाम रक्षा अनुसंधान को छोड़ भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में कार्य करने लगे। भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के प्रयोगों में भी शामिल रहे ।
1980में रोहिणी नाम के उपग्रह को सफलतापूर्वक पृथ्वी के निकट स्थपित कर दिया गया।
1981में इन्हें पदमविभूषण से नवाजा गया।
1982में कलाम को ISRO के निदेशक नियुक्त किया गया। इस दौरान-अग्नि, आकाश, पृथ्वी के प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1992में ये कलाम रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाह कर तथा सुरक्षाशोध और विकास विभाग के सचिव बने।
1974 में पोखरण में प्रथम परमाणु परीक्षण के कार्यक्रम में कलाम एक दर्शक की तरह मौजूद थे,वही पर 2 मई 1998 में द्वितीय परमाणु परीक्षण का ऐतिहासिक कार्यक्रम उनकी देखरेख में पूरा हुआ।
ये स्वतंत्र भारत के 11 वे राष्ट्रपति के रूप में चुने गए इनका कार्यकाल(2002-2007)तक रहा।
राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद कलाम जी को IIM शिलोंग,IIM इलाहाबाद,IIM इंदौर, IIS बंगलौर और अन्य कॉलेज में गेस्ट प्रोफेसर के रूप में जुड़ गए।

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के विचार(Thoughts by Abdul Kalam)-

  • समय और ज़िन्दगी विषय के सबसे बड़े अध्यापक हैं।
  • हमे प्रत्यन करना चाहिय, हार नही  मानना चाहिय।
  • इंसान को कठिनाइयों का सामना करना चाहिए ताकि सफलता भी बड़ी मिले।
  • मेरे लिए नकारात्मक जैसी कोई चीज नही है इस दुनिया मे।

APJ  अब्दुल कलाम की मृत्यु(Death of APJ Abdul Kalam)-

                        27 जुलाई 2015 को मेघालय के शिलोंग में एक व्याख्यान के दौरान अचानक उनकी तबियत खराब हुई और 84 वर्ष की उम्र में दिल के दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी।
इनकी लिए एक टॉपिक विशेष रूप से -
  "If you want to shine like a sun,first burn like a sun"
                                            Dr. APJ Abdul Kalam
 धन्यवाद।

Wednesday, May 13, 2020

अंतरिक्ष विज्ञान(सौरमंडल तारे एवं तारामंडल)

सौरमण्डल तारे एवं तारामंडल(Solar system, Stars and Constellation)


 ब्रह्मांड(Universe)-

                               ब्रह्मांड को समग्र उर्जा,ग्रह,तारे एवं आकाशगंगा इत्यादि के समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
ब्रह्मांड के अध्ययन को  ब्रह्मण्डविज्ञान(Cosomology) 
कहते हैं।

सौरमण्डल(Solarsystem)-

                                           सूर्य,आठ तथा उनके उपग्रहो (चंद्रमा) तथा अन्य आकाशीय पिंड;जैसे- क्षुद्र ग्रह,उल्का पिंड और धूमकेतु का समूह है।

सूर्य(Son)

               सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है। सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित एक तारा है जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं।

आकाशगंगा(Milkyway)-

                                            "असंख्य तारों के समूह को आकाशगंगा कहते हैं"जो गुरुत्वाकर्षण द्वारा धूल एवं गैसीय प्रकाश से जुड़े होते हैं।
आकाशगंगा के बारे में
Milkyway
हमारी आकाशगंगा दुग्ध मेखला हैं जिसकी "बिगबैंग"के उपरान्त उत्पत्ति हुई है।क्षीरमार्ग,या मंदाकिनी को ही "आकाशगंगा या गैलेक्सी" कहते हैं। यह आकृति में "सर्पिल" आकार की गैलेक्सी है। 
इसकर चपटे चक्र का व्यास लगभग 1,00,000 प्रकाश वर्ष हैं।
हमारी आकाशगंगा दोगुने आकार की है।
यह भी माना जाता हैं कि करीब 1खरब तारे मौजूद हैं।
तारों का निर्माण आकाशगंगा में गैस के बादल से होता हैं।तारों से निरंतर ऊर्जा का उत्सर्जन होता हैं।
हमारा सौरमण्डल आकाशगंगा के इलाकों में बाहर स्थित हैं,सौरमण्डल आकाशगंगा की परिक्रमा कर रहा है।
"प्रकाशवर्ष"एक प्रकाश वर्ष प्रकाश द्वारा 
एक वर्ष में 3×10^8मी/सेकण्ड की चाल से तय की गई दूरी है।

तारे(Stars)-

                    तारे अपना प्रकाश उत्सर्जित खोगलीय पिंड हैं, हमारा सूर्य एक प्रकार का तारा है। तारे स्वयं प्रकाशित(Self-luminous) गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर बड़ा खोगलीय पिंड हैं।
  • तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते प्रतीत होते है।
  • तारो की दूरियों को प्रकाश वर्ष में मापा जाता है।

धूमकेतु(Comets)-

                                 "धूमकेतु सौरमण्डल निकाय है, जो पत्थऱ,धूल, बर्फ, गैस के बने हुए छोटे-छोटे खण्ड होते है।यह ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
सौरमण्डल के छोर पर छोटे-छोटे पिंड मौजूद हैं,जो "धूमकेतु या पुच्छल तारा" कहलाते है।
धूमकेतू के बारे में
धूमकेतू
यह मीथेन, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड से बने होते है। इसमे विभिन्न प्रकार के यौगिक भी होते है। इन्हें कोमा(Coma) भी कहते है, क्योंकि इनकी आकृति को 2 मुख्य भाग में बाँट सकते है सिर तथा पूँछ के रूप में। धूमकेतू के सिर का केंद्र(Centre) बहुत चमकीला होता है।
यह इसका नाभिक(Nuclious)  कहलाता हैै।धूमकेतू भी सूरज के चारों और चक्कर लगती है जैसे धरती सूर्य का लगाती है।
"2009 में एमिनो अम्ल गलईसिन पाया गया था,इस बात की पुष्टि हुई है"।
सबसे प्रसिद्ध धूमकेतू हैली का धूमकेतू है। इसका परिक्रमण काल76 वर्ष है अंतिम बार 1986 मे दिखाया दिया था अगली बार 1986 में 76 जोड़ दे तो 2062 में दिखाई देने की संभावना है।

तारामंडल(Constellation)-

                                             यह खोगलशस्त्रियों द्वारा आकाश में तारों की निश्चित स्थिति के अध्ययन के लिए इसे इकाइयों में विभक्त किया गया है।
इन इकाइयों को तारामंडल कहते है।ज्ञात तारामंडलों की संख्या 88 हैं।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन(International space station)-

                                अंतरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन को संक्षेप में (ISS)भी कहते हैं। यह एक प्रयोगशाला के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने वाले "17 देश 1st मॉड्यूल 1998" 
 अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन
ISS
इसका उदघाटन 1998 में  हुआ तथा 2011 में बनकर तैयार हुआ।ISS का मुख्य उद्देश्य है कि अनुसंधान की माइक्रो ग्रैविटी में जगह प्रदान करना।
अन्य अंतरिक्ष यानो के मुकाबले इसमे फायदे अधिक है इसमे रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष मे रहने का मौका मिलता है।

        पोस्ट अच्छी लगे तो हमे comment करके जरूर बताये।

Saturday, May 9, 2020

विभिन्न क्षेत्रों एवं तकनीकी की नवीतम प्रगति जैसे-संचार...

           विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र
                  नवीनतम प्रगति......
https://sciencemodernteac.blogspot.com/?m=1
● विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी की नवीनतम प्रकृति जैसे- रक्षा एवं प्रतिरक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में,कृषि के क्षेत्र में, परिवहन के 
क्षेत्र में, विनिर्माण के क्षेत्र में,ऊर्जा के क्षेत्र में।

• रक्षा एवं प्रतिरक्षा के क्षेत्र में(In the field of defense and defense):-

                                                  भारतीय रक्षा एवं प्रतिरक्षा नीति के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास के लिए "रक्षा विज्ञान संगठन" तथा कुछ अन्य तकनीकी विकास प्रतिष्ठानों को मिलाकर 
'रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(DRDO)'का गठन किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे देश में बहुत उन्नत की है।
रक्षा एवं प्रतिरक्षा के उद्देश्य से सतह से सतह पर मार करनेे वाली मिसाइल' पृथ्वी' अत्याधुनिक प्रणालियों संयुक्त मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन' विमानों के लिए - फ्लाइट सिमुलेटर, चालक रहित लक्ष्य भेदी  विमान, बैकून बैरेज  प्रणालीआदि DRDO  की प्रमुख उपलब्धियां हैं।
Modern science technology

• चिकित्सा के क्षेत्र में(In the field of medicine)-

              पहले बढ़ती हुई घातक बीमारियों से बचने एवं रोकथाम के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। चिकित्सालय में आधुनिक मशीनों जैसे- ' स्कैनर,एक्सरे एंडोस्कोप' का प्रयोग रोगों की जांच के लिए किया जाता हैंं।लेकिन पहले ऐसा नहीं था। धीरे-धीरेे वैज्ञानिकों के खोज से इसका निदान मिला।
अतः आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत निदनमूलक उपचार ,मूलक तकनीकी का प्रयोग हुआ।
जैसे- रेडियोग्राफी,एंजियोग्राफी,कंप्यूटेड टामोग्राफी(C. T.) मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग(M.R.I.),सोनोग्राफी  आदि।
चिकित्सा के नवीनतम उपलब्धियों में अंग प्रत्यारोपण तकनीक, हीमोडायलिसिस, प्रोस्थेसिस आदि हैं।
 'टेली चिकित्सा'के अंतर्गत"5-6"घंटे के अंदर विश्व के किसी भी चिकित्सा विशेषज्ञ विचार-विमर्श करके रोगी का चेकअप कराया जा सकता।

•कृषि के क्षेत्र में(In the field of agriculture)-

                  भारत कृषि प्रधान देश होने के कारण, कृषि क्षेत्र की क्षमता का अत्यधिक दोहन ही   "अभिनव कृषि" का उद्देश्य है।
आधुनिक युग में कृषि के आधुनिक उपकरणों, उन्नतशील बीजों उर्वरकों और पर्याप्त सिंचाई के साधन  के प्रयोग से कृषि उपज बढ़ाने में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई है।
            अभिनव कृषि के अंतर्गत  जैवपीड़ककीट नियंत्रण विधि एवं नाइट्रीकरण निरोधक  का प्रयोग हो रहा है। कृषि के क्षेत्र में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। जहां जल की उपलब्धता का अभाव है वहां छिड़काव तंत्र तथा ड्रिप तंत्र  विधि का प्रयोग होता है।

•परिवहन के क्षेत्र में(In the field of transportation)-

                     परिवहन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी के अंतर्गत" मेट्रो बुलेट ट्रेन एवं मोनो रेल" आदि चलने लगे।
पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए ई-रिक्शा एवं CNG गाड़ियों के के प्रयोग का बढ़ावा दिया जा रहा है।
रेलो की स्पीड बढ़ा कर,रेल यातायात को नवीन रूप देने का प्रयास किया जा रहा है।
परिवहन के प्रगति के कारण दिनों में पूरे होने वाली यात्रा आज चंद घंटों में पूरी हो जाती है।
 रेल सड़क जल और वायु परिवहन के क्षेत्र में यद्यपि विकास तेजी से हुआ है,परंतु विश्व की अग्रणी पंक्ति में अपना स्थान सुनिश्चित करने के लिए विज्ञान एवं तकनीक का लगातार प्रयासरत है।

विनिर्माण के क्षेत्र में(In the field of manufacturing)-

                      विनिर्माण क्षेत्र किसी भी अर्थव्यवस्था की संपन्नता का जनक होता है। इसका विकास हमारे  प्राकृतिक ओर कृषि संसाधनों के मूल्य संवर्धन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में राष्ट्रीय विनिर्माण और निवेश क्षेत्रों की स्थापना,व्यापार के नियमों को युक्तिसंगत और सरल बनाना, बीमार इकाइयों को बंद करने की व्यवस्था को सुगम बनाना, औद्योगिक प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन के उपाय बढ़ाना और विनिर्माण इकाइयों और संबंधित गतिविधियों में अंश धारिता /पूंजी लगाने के लिए भी प्रोत्साहन देना शामिल है।

ऊर्जा के क्षेत्र में(In the field of energy)-

                    ऊर्जा के कुछ स्रोतों को लगातार इस्तेमाल किया जा रहे हैं।
Modern science technology.
                             सोलर सेल पैनल
आज कई तरह के ऊर्जा स्रोत इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं जैसे कि-
"कोयला पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस नाभिकीय ऊर्जा पवन ऊर्जा सौर ऊर्जा" आदि हैं। ऊर्जा के कुछ स्रोतों को लगातार इस्तेमाल किया जा सकता है यह एक निश्चित अवधि के बाद पुन:पूर्ति की जा सकती है।
इस प्रकार के उर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा या अक्षय ऊर्जा स्रोत कहते है।
कुछ ऐसे उर्जा जिनकी पूर्ति नहीं की जा सकती उन्हें और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं।
अनुमान का वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा की मांग को देखते हुए विश्व भर में स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों ( सौर,बायोगैस समुद्री नाभिकीय ,जल एवं भू-तापीय ऊर्जा) आदि के प्रयोग का बढ़ावा दिया जा रहा है। इनके प्रयोग से पर्यावरण की क्षति और ग्लोबल वार्मिंग से भी बचा जा सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत सर्वाधिक व्यापक और असीमित ऊर्जा के स्रोत है अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौर ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण एवं कम प्रदूषण कारी है है।
इस टॉपिक से सम्बंधित आपको कोई भी चीज समझ में ना आया हो तो मैं कमेंट करके जरूर बताएं हम आपको सलूशन देनी की पूरी कोशिश करेंगे।
                     
                        धन्यवाद।

https://sciencemodernteac.blogspot.com/2020/05/blog-post_6.html





             
                    
     

Sunday, May 3, 2020

आओ समझे विज्ञान....

विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में  नवीनतम प्रगति

(Latest progress in the field of science and technology).

1.संचार के क्षेत्र में-(In the field of telecommunications.)

                                 संचार मानव की प्रगति के लिये अति महत्वपूर्ण हैं। संचार के क्षेत्र मेंं संचार के क्षेत्र में टेलीविजन,
टेलिफोन, कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक, डाक सेवा और इंटरनेट  और
  (E-mail) का का प्रयोग जनसंचार के क्षेत्र में क्रांति के रूप में आए।
कंप्यूटर के आविष्कार के बाद संचार के क्षेत्र में नित नए प्रयोग उत्पन्न किए गए, सूचना तकनीकी का प्रयोग कर भारतीय डाक विभाग ने वर्ष (2001) में नवीन डाक सेवा प्रारंभ की जिसे ईपोस्ट का नााम दिया।
20वी शताब्दी मेंं मोबाइल फोन जुड़ गया।
21 वी शताब्दी में नई नई तकनीकी से सुसज्जित होकर एक नए (Smart mobile) के साथ तीन जी थर्ड जनरेशन(3G)  
फोर्थ जेनरेशन (4G) के रूप मेंं उपलब्ध फिफ्थ जनरेशन 
(5G) भी  आ गया है।

2.शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी(ICT)के क्षेत्र में-

                                                                             शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए आईसीटी(ICT) योजना को शुरू किया गया। या योजना छात्रों को विभिन्न सामाजिक आर्थिक डिजिटल डिवाइस(Digital device) और अन्य भौगोलिक  
अवरोधो  को पार करने का सेतु है।
Modern science technology.

शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए विशिष्ट शिक्षकों की नियुक्ति की गई,जो "(ICT) केंद्रित शिक्षा देने में समर्थ हो स्कूल योजना में आईसीटी(ICT) के अंतर्गत कई राज्यों केंद्र शासित राज्यों में स्मार्ट स्कूलों(Smart colleges) का अनुमोदन किया गया है।" इसका उद्देश्य युवाओं को आईसीटी(ICT) का प्रयोग करते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा तथा संस्थापन,जीविका और 
ज्ञान आधारित समाज की बढ़ोतरी में सृजनात्मक दृष्टि से तैयार करना है।

3. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में(In the field of space technology)-

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक " डॉ विक्रम साराभाई" की अध्यक्षता में वर्ष"1962" भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति ( इनकॉस्पार INCOSPAR)
का एवं नवंबर "1969"में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(ISRO)  का गठन हुआ।
 अब हमारे पास भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (INSAT) एवं भारतीय दूर संवेदी आईआरएस (IRS) जैसी अत्याधुनिक उपग्रह प्रणाली मौजूद है।
भारत ने दो प्रकार के उपग्रह प्रक्षेपण यानो  की रूपरेखा तैयार कर इस्तेमाल योग्य बनाया हैं।
एक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी(PSLV)
Modern science technology.

जिसमें भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रह प्रक्षेपित किए जाते हैं और दूसरा है भू स्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान यान यान जीएसएलवी(GSLV) जिसमें इनसेट परिवार केे
उपग्रह छोड़े जाते हैं।
"कीयो यूनिवर्सिटी" द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
" भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान मंगलयान एवं Chandrayaan-1 के सफल परीक्षण में सफल रहा

महत्वपूर्ण बातें.....
1.अंपतरिक्ष में पहुंचने वाले प्रथम व्यक्ति- यूरी गागरिन
2.अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय -राकेश शर्मा
3.प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री- कल्पना चावला
4.भारत का प्रथम चालक रहित विमान- लक्ष्य 


  मैं आशा करती हूं कि आपको एक टॉपिक अच्छे से समझ में आ गया होगा,यदि आपको इस टॉपिक से संबंधित तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा।
हम आपकी परेशानी को दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे।

 धन्यवाद।



How to sing ragalu at low amplitude of voice?

  गीत संगीत से कई बीमारियों का होता हैं इलाज- संगीत बहुत ही शक्तिशाली माध्यम हैं स्वस्थ रहने का। संगीत सुनने से काफी बीमारियां दूर रहती है ...

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