Tuesday, June 29, 2021

How to sing ragalu at low amplitude of voice?


 गीत संगीत से कई बीमारियों का होता हैं इलाज-

म्यूजिक

संगीत बहुत ही शक्तिशाली माध्यम हैं स्वस्थ रहने का। संगीत सुनने से काफी बीमारियां दूर रहती है और सकारात्मक संदेश पहुंचता है सभी लोगों तक। विज्ञान भी संगीत को बहुत महत्व देता है स्वस्थ रहने के लिए। संगीत से नकारात्मक विचार काफी दूर होते हैं। संगीत नकारात्मक दृष्टि को हटाकर सकारात्मक दृष्टि रखने का काफी अच्छा माध्यम है।आप लोग पूरा  पोस्ट पढ़े और और सकारात्मक विचार सेेे सराबोर हो।

संगीत कला के सबसे खूबसूरत कृतियों में से एक है। जो हमें सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। और मानसिक तनाव सेे भी दूर रखता है।

संगीत और हमारा जीवन(music and our life)-

     

आजकल सब लोग अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं जैसे कार्यालय का काम दफ्तर का काम घर का काम इन सबके बीच  अपने लिए टाइम ही नहीं मिल पाता। इन सबके इन सबके बीच मनुष्य खुद के लिये समय नही निकाल पाता और तनाव ग्रस्त हो जाता हैं। ऐसे में उसे म्यूजिक सुनना बहुत लाभदायक होता है। काम का ज्यादा होना म्यूजिक के साथ काम करना बहुत ही सूटेबल माना गया हैं। म्यूजिक सुनने से हमारा शरीर स्वास्थ्य भी रहता है। और डिसीजन लेने में काफी भूमिका निभाता है म्यूजिक। अगर मनुष्य कोई उबाऊ काम कर रहा है,तो म्यूजिक के जरिये उसे मज़ेदार बना सकते हैं।

वैज्ञानिक उपकरणों का संगीत शिक्षा में प्रभाव-

          संगीत एक कलात्मक विषय जिसके अंदर गायन,वादन,नृत्य तीनों कलाये आती हैं।शिक्षा सीखने एवं सिखाने की एक प्रक्रिया हैं'संगीत शिक्षा का अर्थ पुस्तक एवं गुरू हैं, जिससे कुछ सीखा जाए।
संगीत शिक्षा के इतिहास पर दृष्टि करे तो यह स्पष्ट होता हैं कि प्राचीन काल से मध्य काल तक संगीत शिक्षा गुरू – शिष्य को परम्परा द्वारा दी जाती थी। 

19वी सदी में वैज्ञानिक क्षेत्र भी इससे अछूता नही रहा।वैज्ञानिक आविष्कारो में संगीत ने उथल-पुथल मचा दी हैं।आज के युग मे electronic technology की अत्याधुनिक ध्वनि तथा छाया उपकरण संगीत की अपार सहायता की। अब गायन या वादन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण इतना बढ़ गया है कि हम किसी भी दूर की चीज को घर बै ठे देख तथा सुन सकते हैं। वैज्ञानिक के क्षेत्र में म्यूजिक बहुत ही लाभदायक है। अब तो तकनीकी के माध्यम से लहरा,तबला स्वेपेटी,तानपुराआदि उपकरण का उपयोग सहज एव सरल हो गया हैं।

इसलिए जरूरी होता हैं संगीत.....

जिस तरह स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक खाने की जरूरत होती हैं उसी तरह हमारे दिमाग को तनाव से दूर रखने के लिये संगीत की जरूरत होती हैं।संगीत का असर शरीर और मन दोनों पर पड़ता हैं।अगर आप कोई ऐसा काम कर रहे हैं जो आपका बिल्कुल भी करने का मन नहीं हैं आप कोई अच्छा सा गाना लगा लीजिए उसके बाद आप जो भी कार्य कर रहे हैं कब पूरा खत्म हो जयेगा आपको पता भी नही चलेगा।रोज-रोज संगीत सुबह शाम सुनने से उच्च-रक्तचाप का लेवल सुधरता हैं।धीमी गति से संगीत सुनने से स्ट्रोक की समस्या खत्म होती हैं।

संगीत से मानसिक व शारीरिक दर्द होता है कम-

अगर आपको शारिरिक या मानसिक कोई भी समस्या है तो थोड़ी देर संगीत सुनने से बहुत लाभ मिलता हैं।मानसिक स्थिति में संगीत जादू से कम नहीं।एक अध्ययन में पाया गया कि अगर आपको दर्द हो रहा है उसी बीच आप कही संगीत सुनने लगे तो आपका दर्द पहले से कम हो जयेगा।किसी बच्चे को इंजेक्शन लग रहा हैं और आप म्यूजिक ऑन कर देते हैं तो रोना बन्द कर देता हैं। ऐसा होता है म्यूजिक का असर।

संगीत से बढ़ती हैं याददाश्त......

अगर हम अपने पसंद का कोई संगीत सुनते हैं धीमे गति से तो तो उस टाइम का पढ़ा याद रहता हैं।पसन्दीदा म्यूजिक सुन ने से स्ट्रोक का खतरा कम रहता हैं,और एकाग्रता आती हैं।

संगीत से अच्छी नींद भी आती हैं-

अगर आपको अच्छी नींद नही आ रही तो अपने पसंद की म्यूजिक सुनिए सोने के समय धीमी गति से इससे आपको बहुत अच्छी और गहरी नींद आएगी।लेकिन याद रहे सोने के 30-35 min पहले वो भी शास्त्रीय म्यूजिक सुने अगर आप रॉक म्यूजिक सुनते हैं तो परिणाम उल्टा भी हो सकता हैं।शास्त्रीय संगीत आपको अच्छे परिणाम देते है औऱ आपके नींद में जो बाधक हैं उन्हें खत्म करते हैं जैसे चिंता,विकार।

संगीत सुनते समय ज़्यादा खा या भी नही जाता जिससे डाइट भी सही रहती हैं-

अगर आप सान्ग सुनते खाना खा रहे हैं तो आप बहुत ज़्यादा नही खा पाएंगे।जिससे आपकी डाइटिंग एकदम सही रहेगी।

पीठ दर्दभी कम करता हैं संगीत....

ऐसा माना जाता हैं कि संगीत सुनने से दर्द में आराम मिलता हैं।धीमा गति से संगीत सुनने से दिल की धड़कन और उच्च -रक्तचाप भी धीमी हो जाती हैं।जिससे आराम और बेहतर महसूस करते हैं।एक स्टडी के अनुसार बैक सर्ज़री के बाद म्यूजिक थेरेपी देने से बैकपेन में बहुत राहत मिली।
तो दोस्तो आप भी म्यूजिक के जरिये खुश और स्वस्थ रह  सकते हैं।
                            धन्यवाद।।



Friday, June 25, 2021

हमारे सौरमंडल में नए ग्रह कैसे आए?How did new planets came to our solar system?


 हमारे सौरमंडल में नए ग्रह कैसे आए?How did new planets come to our solar system?

सोलर सिस्टम से सम्बंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी जो शायद आपको न पता हो,तो इनके बारे में महत्वपूर्ण टॉपिक जानने के लिए पूरे पोस्ट को ध्यान से पढ़े।
  • सौरमंडल की उत्पत्ति
  • सौरमंडल में कुल कितने ग्रह हैं
  • पृथ्वी का ग्रहों से दूर
दोस्तों आज हम  ऊपर दिए गए चार टॉपिक पर चर्चाा करेंगे।

  • सौरमण्डल की उत्पत्ति(Origin of the Solar System)-
                              आज हम जानेंगे कि सौरमण्डल की उतपत्ति कैसे हुई और सौरमण्डल हैं क्या? इंटरनेट और साइंस के जमाने में हर कोई सोलर सिस्टम के बारे में जानना चाहता है तो आज हम आपको बड़ी बारीकी से बताएंगे कि सौरमंडल की उत्पत्ति कैसे हुई।

सौरमंडल की उत्पत्ति 5 बिलियन साल पहले हुई थी। जब एक नए तारेे का  जन्म हुआ था
जिसे आज हम सूर्य के नाम से जानते हैं ।सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं और अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं।
सूर्य सौरमंडल का मुखिया है। सूर्य का जन्म 4.6 मिलियन पहले हुआ था।सूर्य पृथ्वी से लगभग 13 लाख गुना बड़ा है और पृथ्वी को इसके ताप का 2 अरब वां भाग मिलता है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 149 लाख किमी है। सूर्य से ही सौरमंडल का निर्माण हुआ है।सूर्य और उसके चारों ओर घूमने वाले आकाशीय पिंड सौर मंडल का निर्माण करते हैं। सौरमंडल में अनेक पिंड शामिल है जैसे ग्रह, धूमकेतु , क्षुद्र ग्रह और उल्काएँ। यह सभी पिंड सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
सौरमण्डल(solar system)

  • सौरमंडल में कुल कितने ग्रह हैं(How many planets are there in the solar system)-
             हमारे सौर मण्डल में 8  गृह हैं। इसके आलावा बहुत से आकाशीय पिंड है जैसे बौने गृह या क्षुद्र गृह। चलिए प्रो के बारे में जानते हैं- खगोल शास्त्रियों का एक संगठन है जिन्होंने इन्हें चार भागों में बांटा है-

1.बौना ग्रह-

               सेरस,शेरॉनप्लूटो

2. परंपरागत ग्रह-
                       बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।

3. आंतरिक ग्रह-

                      बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल

4. बाह्य ग्रह      -

                       बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण।

  1. बुध ग्रह(Mercury Planet)- 
            सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह बुद्ध है।

Note- 1 au (Astronomical Unit) = 150 million KMs 
बुध ग्रह सूर्य के चारो 88 दिन में अपना चक्कर पूरा कर लेता है।बुध का कोई उपग्रह नहीं है।बुध ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो केवल सूर्य का ही चक्कर लगाता है और इसके अलावा बाकी ग्रह ना चाहते हुए भी अन्य ग्रहों के चक्कर लगाते हैं।
2.बृहस्पति(Jupiter)- 
                               बृहस्पति सूर्य से पांचवा और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह गैस का एक पिंड है। उसका द्रव्यमान सूर्य केे हजारवे भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुनाा है। पीले रंग केेे इस ग्रह को अंग्रेजी मेंंं जुपिटर कहते हैं।
3.शुक्र(Venus)-
                        सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह शुक्र ग्रह है।भोर का तारा या सुबह का तारा Morning star सबसे अधिक चमकदार ग्रह शुक्र को कहा गया है। शुक्र ग्रह का द्रव्यमान 4.87×10^24 kg है। जो हमारी पृथ्वी का 85% है। शुक्र ग्रह पर सूर्य के प्रकाश को पहुंचने मे 6 मिनट का समय लगता है। शुक्र ग्रह पूरी तरह से बादल और गैसों  से ढका हुआ है।शुक्र ग्रह के वायुमंडल में 96.5% कार्बन डाइऑक्साइड,3.5 नाइट्रोजन और बहुत ही कम मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड मौजूद है।
4.मंगल(Mars)-
                    अब हम मंगल ग्रह के बारे में चर्चाा करेंगे। मंगल सूूर्य  से चौथे नंबर का ग्रह है। आकाश में लाल पदार्थ पाया जाता है जिसे मंगल ग्रह कहते हैं। सौरमंडल का सबसे ऊंचा और अधिक  पर्वत मंगल पर ही है। पृथ्वी के अलावा पानी और रहनेेेेेे की सुविधा मंगल पर होने की संभावना है। इस ग्रह को नीला ग्रह कहते हैं। आजकल मंगल  ग्रह पर कई सारे सेटेलाइट कृत्रिम सेटेलाइट भेजेे जा भेजे जा रहे जिससेे वहां की जानकारी हमें मिल सके। ज़्यादा जानने के लिए वीडियो पर क्लिक करके द

5.पृथ्वी(Earth)-
                      सौरमंडल में पृथ्वी बुध और शुक्र के बाद सूर्य से तीसरे नंबर का ग्रह है।पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जहां पर जिंदगी बसती है, जहां पर मानव रहते हैं। सूर्य सेेे पृथ्वी की की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर हैं।पृथ्वी को सूर्य से ऊर्जा मिलती है और यही ऊर्जा पृथ्वी की सतह को गरम करती है।
6.शनि ग्रह(Saturn)-
                                शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं।शनि आंखों से देखा जाने वाला अंतिम ग्रह है।यह गैसियस संरचना है जिस पर मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैस मिलती है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 महीने का समय लगता है और अपनी धुरी पर यह 10 घंटे 40 मिनट में एक परिक्रमा पूरी कर लेता है।
7.अरुण(Urenus)-

टेलिस्कोप से खोजे जाने वाला सबसे पहला ग्रह था। सर विलियम हर्षले ने टेलीस्कोप की मदद से इसे खोजा था। यह पूर्व सेेेे पश्चिम की ओर घूमताा है। यूरेनस हमारेेे सौरमंडल सेेेे सूर्य से सातवां ग्रह है। द्रव्यमान मैं यह पृथ्वी से14.5 गुना अधिक भारी और आकार में और पृथ्वी से 63 गुना अधिक है। पृथ्वी व यूरेनस की दूरी की बात करें तो न्यूनतम दूरी 1.6 बिलियन मील यानी 2.6 km व अधिकतम दूरी 1.98 मील यानी 3.2 km है।

8.वरुण ग्रह(Neptune)-

                                     वरुण ग्रह सूर्य से दूरी के अनुसार आठवां तथा आकार मैं चौथा ग्रह है। सूर्य से सबसे दूर होने के कारण या सबसे ठंडा ग्रह है। सूर्य का पूरा चक्कर लगाने में वरुण पूरा को 165 साल लग जाता है। वरुण ग्रह के कुल 14 उपग्रह है।

 दोस्तों इस पोस्ट में सौरमण्डल और ग्रह के बारे में विस्तार से बताया गया है, पूरा जानने के लिए पूरी पोस्ट को पढ़े और अपने ज्ञान को बढ़ाये।

                              धन्यवाद।



                                    





Friday, June 18, 2021

इलेक्ट्रान की खोज किसने की

 इलेक्ट्रान की खोज किसने की थी एवं कैसे  की थी।(Discovery of Electron in hindi).

1.परिचय(Introduction)

 2.इलेक्ट्रॉन किसे कहते हैं(What is electron in hindi).

3 electron की खोज कैसे हुई (How was the electron discovered?)


परिचय(Introduction)-
                                      बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में फैराडे(Faraday),क्रुक्स(Crooks)जे.
 जे. थॉमसन(J.J.Thomson),रदरफोर्ड(Ratherford)आदि। वैज्ञानिकों के अनुसंधानो  ने डाल्टन के अविभाज्य परमाणु वाद का खंडन किया और यह प्रमाणित किया कि परमाणु विभाज्य है।इलेक्ट्रॉन ,प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन प्रत्येक परमाणु के अवयवी कण होते हैं।

इलेक्ट्रॉन(Electron)-
                                  इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में जे. जे.थॉमसन के द्वारा की गई थी। यह यह परमाणु का सबसे हल्काा  न अवयवी कण है। इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1/1840 होता है। इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित होता है,इसका आवेेेश -1.6×10^19 कूलाम होता है।इलेक्ट्रॉनलेप्टॉन परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। इलेक्ट्रॉन कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है।

कैथोड किरणे:इलेक्ट्रॉन की खोज(Cathode rays: Discovery of electron)-

      
कैथोड-रे
इलेक्ट्रॉन की खोज

जे. जे. थॉमसन ने कांच के विसर्जन नली में एक गैस क अत्यंत कम दाब पर भरकर उच्च वोल्ट की वैद्युत धारा प्रवाहित की तथा देखा कि विसर्जन नली के कैथोड( ऋण इलेक्ट्रोड) से अदृश्य किरणे उत्सर्जित होती हैं, जो एनोड (धन इलेक्ट्रोड) की ओर चलती है तथा विसर्जन नली में कैथोड के सामने कांच की दीवार पर हरे रंग की प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती हैं। जे जे थॉमसन ने इन अधिकारियों को कैथोड क्यों ने नाम दिया।

1. कैथोड किरणों के गुण धर्म(Characteristics of Cathode rays)-

• यह किरणें उच्च गलनांक  की धातु से टकराकर X- किरणें उत्पन्न करती हैं।
• यह किरणें फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं।
• कैथोड किरणों की गतिज ऊर्जा अत्यअधिक होती है।
• कैथोड किरणें प्रकाश किरणों की तरह सीधी रेखा में चलती हैं।
• यह किरणे गैस को आएनित कर देती हैं।



Monday, June 14, 2021

आखिर क्यों रेल की पटरियों के बीच जगह छोड़ी जाती हैं?

      ||Aisa kyun||

आखिर क्यों रेल की पटरियो के बीच जगह छोड़ी जाती हैं, क्या वजह हैं रेल की पटरियों के बीच जगह(Space) छोड़ने का?

हेलो दोस्तों अगर आप इन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं तो पूरे पेज को ध्यान से पढ़े।

भारतीय रेल नेटवर्क एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।रोजना लाखों यात्रीगण रेलवे का सफर करतेे हैं। परिवहन के लिए निश्चित रास्ता बनाया गया है जिसे पटरी कहते हैं।जो लोहे का बना होता हैं।भारतीय रेलवे प्रतिदिन लगभग 2.5 करोड़ यात्रियों को इनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती है।


भारतीय रेल की पटरी स्टील अलॉय से बनाया जाता हैं।लोहे को कार्बन सिलिकॉन मिश्रित स्टील से बनाया जाता है।रेेलवे बिछाने के लियेपटरियों के बड़े-2सेक्शन आपस मे जोड़े जाते हैं।इनके बीच थोड़ी-2 जगह छोड़ी जाती हैं,क्या आपने सोचा जगह क्यों छोड़ी जाती हैं?

आइये जानते हैं ऐसा क्यों होता हैं?

जैसा कि आप सबको पता होगा पटरियां लोहे से बनाई जाती हैं, और लोहा गर्मियों के मौसम में ताप से फैलता है, और सर्दियों में सिकुड़ जाता है
अगर पटरियों को आपस में मिलाकर जोड़ दिया जाए, तो गर्मियों के मौसम में लोहे के फैलने के कारण पटरियों के टूटने तथा टेढ़े मेढ़े होने का डर रहता है, इस कारण रेल की पटरियों के बीच में जगह छोड़ी जाती है।

नमस्कार दोस्तों तो कैसे लगी हमारी आज की पोस्ट हमे comment कर के जरूर बताये।
             धन्यवाद।

Friday, June 11, 2021

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन

 आख़िर क्यों था अल्बर्ट आइंस्टीन ( Albert Einstein) का दिमाग खास?
Secerets of Einestion's Brain:One brain Journey.

 एक मन्दबुद्धि बालक कैसे बना कैसे बना इतना बड़ा वैज्ञानिक?ये सब जानने के लिए पूरा पोस्ट पढ़े।

।।इस ब्लॉग के माध्यम से आपको पता चलेगा कि Albert Einstein कैसे थे  औरों से अलग, ये सब जानने के लिये पूरा पोस्ट पढ़े।।

 आइंस्टीन का जन्म(Birth of Einstein)-                                                               अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 March 1879 जर्मनी यहूदी परिवार में हुआ। इनके पििता का नाम हरमन आइंस्टीन तथा माता का नाम पोलिन आइंस्टीन था।येे थ्योरिटीकल भौतिकशास्त्री थे।विज्ञान के दर्शन शास्त्र को प्रभावित करने के लिए भी इनका नाम प्रसिद्ध है। अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम सबसे ज्यादा इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि उन्होंने विश्व को द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण के सूूत्र E=mc^2  को प्रदान किया जो जोो विश्व काा प्रसिद्धि समीकरण हो गया।1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया।Albert Einstein

                    Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन के अविष्कार(Albert Einstein Inventions in hindi) –

                                     इनका नाम प्रसिद्ध वैज्ञानिको में गिना जाता हैं, इन्होंने अनेकों आविष्कार किये जिस्मे इन्हे द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E=mc^2 के लिए काफी प्रसिद्धि मिली।इसी को नुक्लेअर ऊर्जा कहते है।

स्पेशल थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी (Special theory of realitivity)-

अल्बर्ट आइंस्टीन की इस थ्योरी में समय और गति के सम्बन्ध को समझाया है. ब्रम्हांड में प्रकाश की गति को निरंतर और प्रकृति के नियम के अनुसार बताया 
जिसने आइंस्टीन का नाम अमर कर दिया।इसी सिद्धदान्त को सापेक्षता सिद्दान्त कहा गया।

अल्बर्ट आइंस्टीन के रोचक तथ्य(Interesting facts about Albert Einstein)-

अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग बहुत तेज था वो किसी चीज को देख लेते थे ,तो उसे अपने दिमाग मे रख लेते थे उनका दिमाग ही उनका लैब था। अपने दिमाग में एक खाका तैयार करते थे और उसी के सहारे वह अविष्कार कर देते थे।इतने तेज दिमाग वाले व्यक्ति थे सर अल्बर्ट आइंस्टीन।

★इनकी ये मानसिक बुद्धि परीक्षण लैब को भी पीछे कर देती थी।वो अपने दिमाग मे जो परीक्षण करते थे वो अन्य प्रयागों से सही व सटीक होती थी।

★अल्बर्ट आइंस्टीन खुद का घर का पता भूल जाते थे ।उनका यादशक्ति कमजोर होने की वजह से वो दुसरो का नाम,पता यह तक कि नम्बर भूल जाते थे।उनका मानना था  कि छोटी -2 चीजो चीजों को क्यों याद रखें।

आखिर क्यों संभाल कर रखा गया अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग-

ऐसा  माना जाता है कि इनका दिमाग आम मनुष्यों से ज्यादा तेज चलता था।आइंस्टीन का का दिमाग 85 अन्य मस्तिष्क से की गई। आम 1230 ग्राम का आइंस्टीन का दिमाग काम मनुष्य के जैसा ही था लेकिन आप मनुष्य से ज्यादा उसमें फोल्डर्स था।अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमागअल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग 46 टुकड़ों के रूप में अमेरिका के एक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। अल्बर्ट आइंस्टीन ऐसे व्यक्ति थे जो कभी मोजे नहीं पहनते थे क्योंकि उनकी उंगलियां इतनी बड़ी थी कि मुझे फट जाते थे और उनकी उंगलियां दिखने लगती थी । डॉ. हार्वे ने इनके दिमाग को एक संग्रहालय में रखा लगभग 22 साल जब आइंस्टीन के बेटे बड़े़े हो गए तब डॉ. डॉक्टर हार्वे ने आइंस्टीन बेटे से परमिशन लिया और शोध करना शुरू कर दिया शोध करने के बाद चौंकाने वाली बात यह थी कीउनके दिमाग मे जोGlial सेल्स की संख्या नॉर्मल इंसान से ज्यादा थी ।
Glial cells वह सेल्स होते हैं जो न्यूरान को प्रोटेक्ट करते हैं। उन्हें ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन देने का का काम इन्हीं सेल्स का होता है।

इन्ही सेल्स की वजह से आइंस्टीन की न्यूरोप्लास्टिसिटी और न्यूरोजेनिसिस अबलिटी बहुत ज़्यादा थी।दोस्तों हमारे दिमाग मे नए न्यूरान्स बनने की अबलिटी को न्यूरो जेनिसिस कहा जाता हैं।दोस्तोों इनके दिमाग में एक बात और थी जो चौका देनेे वाली थी इनके दिमाग के सेलविंन फिशर नामक पार्ट था ही नहीं। ये पार्ट age के लिये रेस्पोंसिबल होता हैं।ये कुदरत का करिश्मा था कि तब भी इनका दिमाग positive टतरीके से काम करती थी।
दोस्तो अगर हम प्रीफ्रेंटल कॉटेक्स की बात करे तो ये दिमाग का वो हिस्सा होता हैं जो 25 साल की उम्र तक डिवेलप होता रहता है।और दिमाग का यह हिस्सा हम इंसानों को बाकियों से ज्यादा इंटेलिजेंट बनाता है। फ्यूचर प्लानिंग,गोल सेटिंग्स, थॉट कंट्रोलिंग और भी बहुत कुछ जैसे- अच्छे बुरे के अंतर को समझाता है।
आप भी अपने दिमाग के हिस्से को मजबूत बना सकते है इसके लिए अच्छी सोच,प्रतिदिन एक्सरसाइज और कुछ लॉजिकली काम प्रतिदिन करते रहना होगा।

दोस्तों हमने आपको इतनी सारी बातें बता दी कि आप भी अपना दिमाग तेज कर सकते हैं अल्बर्ट आइंस्टीन के जितना तो नहीं लेकिन बाकियों से ज्यादा तो कर ही सकते हैं।

तो हे दोस्तों कैसी लगी हमारी ये पोस्ट हमे comment करके जरूर बताये और आइंस्टीन से जुड़े रोचक फैक्ट के बारे में जाने।कोई चीज न समझ मे आये तो comment box में comment करके बताये हम आपको पूरी जानकारी देने की पूरी कोशिश करेंगे।
                   ।।Thanks।।

Wednesday, June 9, 2021

स्वास्थ्य एवं रोग, उपचार.

 आज हम आपको बताएंगे कि रोग क्यों और किसकी कमी से होता हैं।

नमस्कार दोस्तों मैं हूं आपकी दोस्त मै इस पोस्ट को आपके साथ शेयर कर रही अपने अनुभव के साथ।

दूषित भोजन के कारण होने वाले रोग,यौन जनित रोग,सूक्ष्म जीवों से उत्पन्न रोग,कार्बोहाइड्रेट की कमी,प्रोटीन की कमी,क्षयरोग, आदि।

स्वास्थ्य एवं रोग(Health and diseased)-

स्वस्थ शरीर के लिये संतुलित आहार की आवश्यकता होती हैं।

★दूषित भोजन के कारण होने वाले रोग-
  
 1.पेट मे दर्द और एठन
  2.पेचिश
  3.हैजा
  4.दस्त
  5.हेपिटाइटिस आदि।

 "संचारी रोगों में दूषित भोजन और पानी की वजह से सबसे ज्‍यादा फैलने वाली बीमारिया डायरिया, सांस की बीमारी तथा अन्‍य सामान्‍य संक्रामक रोग शामिल हैं।"
शरीर की उचित सफाई न होने कारण कई प्रकार के कीटाणु, फफूंद, जीवाणु,विषाणुबाहर से भी संक्रमित करते हैं।अपने शरीर की प्रतिदिन सफाई  करनी चाहिए।

यौनजनित रोग-

                   ये 2 तरह के होते हैं-
1.सुजाक रोग- 
                   यह गोनोकाई नामक जीवणु से होता हैं।यह गले,आंख की पलक की कोशिका तथा यौनांगों को प्रभावित करता हैं।

2.सिफलिश रोग-  
                      यह रोग स्प्रिंग के आकार के ट्रोपोनिमा पैलिम नामक जीवाणु से होता है।

सूक्ष्म जीवों से उत्पन्न रोग-

                                      कुछ सुक्ष्म जीव हमारे शरीर मे रोग उत्पन्न करते हैं।जैसे-जीवणु, विषाणु,कवक परजीवी आदि।इन सूक्ष्म जीवों को नग्न आंखों से नही देखा जा सकता इसके लिये सूक्ष्मदर्शी का उपयोग करना पड़ेगा।
जीवाणु द्वारा-हैजा, निमोनिया, क्षयरोग आदि।विषाणु से जुकाम, रेबीज, पोलियो, डेंगू आदि रोग  फैलते हैं।

फफूंदी के कारण त्वचा रोग-खुजली, दाद
दाद ट्राइकोफाइटांन नामक फफूंदी से तथा खुजली एकैरिस स्कैबीज नामक आर्थोपोड से होता हैं।
     
जीवणु(Bacteria)


  वायुजनित रोग- 

                         यदि वायु प्रदूषित है तो कई सारे रोगों का कारण बन सकती है। वायु संक्रमित होने से कई सारे एलर्जी वाले रोग उत्पन्न होते हैं जैसे-जुकाम फ्लू।

जल जनित रोग-

                      दूषित जल के माध्यम से सबसे बड़ा रोग होता है। जैसे-डायरिया पेचिश यह सब दूषित जल द्वारा होते हैं।

★ कार्बोहाइड्रेट की कमी(Deficiency of carbohydrate)-

                             कार्बोहाइड्रेट  हमें उर्जा देते हैं कार्बोहाइड्रेट की कमी से व्यक्ति दुर्बल, शारीरिक क्षमता में कमी तथा थकावट आदि का अनुभव होता है।
रोग-मधुमेह, हृदय रोग।

★ प्रोटीन की कमी(deficiency of protein)-

                   प्रोटीन हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्णण तत्व हैं। जो हमारी शारीरिक वृद्धि केेेे लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रोटीन की कमी से हमारी शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। प्रोटीन की कमी से दो प्रकार के रोग हो सकेेतेे हैं-

1.क्वाशियोरकर(Kwashiorkor)-
                                                  यह रोग  प्रोटीन की कमी से होता है इस रोग में सूजन आ जाती है हाथ पैर दुर्बल हो जाते हैं पेट हर बाहर निकल आता है ।
तथा चेहरा पीला पड़ जाता है।
इस रोग को प्रोटीन युक्त भोजन देकर दूर किया जा सकता है।
जैसे-दूध, दही, मक्खन, अंडा, हरी सब्जियां फल आदि।

2.सूखा रोग या मैरेसम्स(Marasmus)-

                                                         यह भी प्रोटीन की कमी के कारण होता हैं।इसमे शरीर सिकुड़ जाता हैं।।   
आंखे धँस जाती हैं तथा चेहरा दुबला हो जाता हैं।दुर्बल होने के कारण चलने में भी परेशानी आ सकती हैं।
अब हम जानेंगे कि क्षयरोग क्या होते है-

क्षयरोग(Tuberculosis)-

                                       "टीबी एक खरतनाक बीमारी है ये जिस अंग को प्रभावित कर दे समय पर इलाज न मिले तो उस व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती हैं।हालाँकि की टीबी अब लाइलाज नहीं।"
हम टीबी को हरा सकते हैं समय पर दवा लेकर।यह एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। बताते चलें कि सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। 
लक्षण-
1.ज्वर होना
2.खांसी आना
3.छाती में दर्द होना
4.वजन कम होना

दोस्तो अगर आपको हमारी पोस्ट जानकारी योग्य लगती हैं तो तो इसे पढ़े और ज्ञान ले।अगर आपको इसमे कोई चीज न समझ मे आये तो comment section में comment करके पूछ सकते है, हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपके प्रश्न का  उत्तर देने का।
                         ||THANKS||



        

Sunday, June 6, 2021

ध्वनि(Sound),कंपन(Vibration).

 ध्वनि(Sound),आवृत्ति(Frequency),आयाम(Amplitude),आवर्तकाल(Time period),शोर(Noise),सुश्वर(Music),कम्पन(Vibration).शोर(Noise)

ध्वनि(Sound)-

                         ध्वनि जीवन मे महत्वपूर्ण हैं, जो हर समय काम आती हैं।कुछ ध्वनि हमारे कानों को मधुर लगती हैं कुछ तीखी लगती हैं।हम आपस मे जो बातचीत करते ह उसे भी ध्वनि कहते है।ये मधुर कर्कश दोनों तरह होती हैं कुछ इस तरह होती है जो हमें मनोरंजन कराती हैं।

जैसे-रेडियो,टेलीविजन आदि के द्वारा हम नाटक, संगीत, समाचार आदि सुनते हैं।

     ध्वनि की तीव्रता या पबलता डेसीबल में मापी जाती है। 

ध्वनि(Sound)
ध्वनि(Sound)

आवृत्ति(Frequency)-

                                     "प्रति सेकण्ड होने वाले दोलनों की संख्या को दोलन की आवृत्ति कहते हैं।" आवृत्ति को हर्ट्ज में मापा जाता हैं।इसे Hz  से प्रदर्शित करते हैं। आवृत्ति एक दोलन प्रति सेकंड के  बराबर होती हैं।


आयाम(Amplitude)-

                                      आयाम तथा आवृत्ति ध्वनि किसी ध्वनि के दो महत्वपूर्ण गुण हैं।आयाम का अर्थ है किसी वस्तु का आकार लम्बाई ,चौड़ाई ,ऊंचाई।


कम्पन(Vibration)-

                                  किसी वस्तु का बार- बार इधर-उधर गति करना कम्पन(Vibration) कहलाता हैं।
कम्पन का अर्थ है-काँपने या थरथराने की क्रिया या भाव 2. कँपकँपी ; कंप ; थरथराहट 3. तरंगों की प्रवृत्ति

कम्पन के गति को दोलन गति  कहते हैं।

उदहारण- "घड़ी का पेण्डुलम"


आवर्तकाल(Time period)-

                                               "किसी तरंग द्वारा एक तरंग दैर्ध्य की दूरी तय करने में जितना समय लेती है उस समय को उस तरंग का आवर्त काल कहते है।" यानी तरंग द्वारा एक तरंग दैर्ध्य की दूरी को पूरा करने मेंजो समय लगता हैं उसे आवर्त काल कहते है।

तारत्व तथा सबलता(Pitch and Loundnes)-

                     जब किसी वस्तु का किसी और वस्तु से टकराव कराया जाता हैं, तो टकराने से जो ध्वनि उतपन्न होती हैं,आघात होता हैं उस ध्वनि की प्रबलता कहते हैं।

 सुस्वर(Melodious sound!)-

                                                   ऐसी ध्वनि जो सुनने में अच्छी लगती हो,सूरीली ,मधुर हो उसे ही सुस्वर ध्वनि कहते हैं।
जैसे-तोता, मैना,हारमोनियम, वाद्य यंत्रों आदि।

  शोर(Noise)-

                         अप्रिय ध्वनि शोर कहलाती हैं। जैसे मोहल्ले में गाड़ियों,दुपहिया वाहन की 
तीव्र ध्वनि अप्रिय लगती हैं।जो हमारे आसपास के लोगो को भी बुरी लगती हैं।   

हानि(loss)-
  1. अनिंद्रा
  2. चिंता
  3.उच्च रक्तचाप

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